
उम्मीद का दीया : प्रेरक कहानी
एक घर मे पांच दिए जल रहे थे। एक दिन पहले एक दिए ने कहा – इतना जलकर भी मेरी रोशनी की लोगो को कोई कदर नही है… तो बेहतर यही होगा कि मैं बुझ जाऊं।
वह दीया खुद को व्यर्थ समझ कर बुझ गया। जानते है वह दिया कौन था ? वह या था उत्साह का प्रतीक ।
यह देख दूसरा दीया जो शांति का प्रतीक था, कहने लगा – मुझे भी बुझ जाना चाहिए। निरंतर शांति की रोशनी देने के बावजूद भी लोग हिंसा कर रहे है। और शांति का दीया बुझ गया ।
उम्मीद का दिया : प्रेरक कहानी
उत्साह और शांति के दिये के बुझने के बाद, जो तीसरा दीया हिम्मत का था, वह भी अपनी हिम्मत खो बैठा और बुझ गया। उत्साह, शांति और अब हिम्मत के न रहने पर चौथे दिए ने बुझना ही उचित समझा।

चौथा दीया समृद्धि का प्रतीक था।
सभी दिए बुझने के बाद केवल पांचवां दिया अकेला ही जल रहा था। हालांकि पांचवां दीया सबसे छोटा था मगर फिर भी वह निरंतर जल रहा था।
उम्मीद का दिया : प्रेरक कहानी
तब उस घर मे एक लड़के ने प्रवेश किया। उसने देखा कि उस घर मे सिर्फ एक ही दिया जल रहा है। वह खुशी से झूम उठा।
चार दिए बुझने की वजह से वह दुखी नही हुआ बल्कि खुश हुआ।
यह सोचकर कि कम से कम एक दीया तो जल रहा है। उसने तुरंत पांचवां दिया उठाया और बाकी के चार दिए फिर से जला दिए ।
जानते है पांचवां अनोखा दिया कौन सा था ?
उम्मीद का दिया : प्रेरक कहानी
वह था उम्मीद का दिया… इसलिए अपने घर में अपने मन में हमेशा उम्मीद का दिया जलाए रखिये । चाहे सब दिए बुझ जाए लेकिन उम्मीद का दिया नही बुझना चाहिए ।
ये एक ही दीया काफी है बाकी सब दियों को जलाने के लिए …
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