गणेश चतुर्थी 2022 : गणेश चतुर्थी का इतिहास व महत्व, क्यों और कैसे मनाया जाता है गणेशोत्सव

भगवान गणेश जी के स्‍थापना की विधि

जानिए हर साल गणेश चतुर्थी पर घर में क्यों बैठाए जाते हैं गणपति ! हर साल भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी को गणपति के भक्त धूमधाम से उन्हें घर पर लेकर आते हैं और उनकी सेवा करते हैं. इसके बाद गणपति का विसर्जन कर दिया जाता है. लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है ? गणेशोत्सव के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए.

साल 2022 में गणेश चतुर्थी

हिंदू पंचाग के अनुसार इस साल गणेश चतुर्थी यानी भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि का आरंभ 30 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 34 मिनट पर होगा। जबकि भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि का समापन 31 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर होगा। इस साल गणेश चतुर्थी पर विघ्नहर्ता गणेशजी अपने साथ शुभ रवि योग भी लेकर आ रहे हैं। इस योग के बारे में कहा जाता है कि इस योग में सभी अशुभ योगों के प्रभाव को नष्ट करने की क्षमता होती है। यानी विघ्नहर्ता गणेशजी तमाम विघ्नों को दूर करके भक्तों का मंगल करने आ रहे हैं।

गणेश उत्सव 2022 तिथि व मुहूर्त

गणेश चतुर्थी यानी भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि का आरंभ 30 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 34 मिनट पर होगा। जबकि भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि का समापन 31 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर होगा। इस साल गणेश चतुर्थी पर विघ्नहर्ता गणेशजी अपने साथ शुभ रवि योग भी लेकर आ रहे हैं। इस योग के बारे में कहा जाता है कि इस योग में सभी अशुभ योगों के प्रभाव को नष्ट करने की क्षमता होती है। यानी विघ्नहर्ता गणेशजी तमाम विघ्नों को दूर करके भक्तों का मंगल करने आ रहे 

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गणेश चतुर्थी का इतिहास

इतिहासकारों के मुताबिक गणेश चतुर्थी के पावन पर्व की शुरुआत 1630-1680 के दौरान हुई। उस समय यह पर्व सामाजिक समारोह के रूप में मनाया जाता था। शिवाजी के समय भगवान गणेश जी की पूजा उनके कुलदेवता के रूप में की जाती थी।

Ganesh Chaturthi 2021 : गणेश चतुर्थी का इतिहास व महत्व, क्यों और कैसे मनाया जाता है गणेशोत्सव
Chhatrapati Shivaji Maharaj

लेकिन पेशवाओं के अंत के बाद यह एक पारिवारिक उत्सव बन गया। इसके बाद इस त्योहार की शुरुआत एक बार फिर 1893 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा किया गया। सामान्यत: यह ब्राम्हणों और गैर ब्राम्हणों के बीच अंतर को खत्म करने और लोगों के बीच एकता लाने के लिए किया गया था।

Ganesh Chaturthi 2021 : गणेश चतुर्थी का इतिहास व महत्व, क्यों और कैसे मनाया जाता है गणेशोत्सव
Freedom Fighter Bal Gangadhar Tilak

सन 1893 में बाल गंगा धर तिलक ने अंग्रजो के विरुद्ध एक जुट करने के लिए एक बड़े पैमाने पर इस उत्सव का आयोजन किया जिसमे लोगो ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया और इस प्रकार पूरे राष्ट्र में गणेश चतुर्थी मनाया जाने लगा।

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बालगंगाधर तिलक ने यह आयोजन महाराष्ट्र में किया था इसलिए यह पर्व पूरे महाराष्ट्र में बढ़ चढ़ कर मनाया जाने लगा। तिलक उस समय स्वराज्य के लिए संघर्ष कर रहे थे और उन्हें एक ऐसा मंच चाहिए था जिसमे माध्यम से उनकी आवाज अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचे और तब उन्होंने गणपति उत्सव का चयन किया और इसे एक भव्य रूप दिया जिसकी छवि आज तक पूरे महाराष्ट्र में देखने को मिलता है।

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गणेश चतुर्थी का महत्व

ऐसी मान्यता है कि भगवान् गणेश जी का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था. इसीलिए यह दिन हर साल गणेश जी के जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है. गणेश जी को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि जो सच्चे मन से भगवान गणेश की आराधना करता है वे उनके सारे विघ्न हर लेते हैं. भगवान गणेश के पूजन से जीवन में सुख, शांति एवं समृद्दि आती है.

गणेश चतुर्थी क्यों

जब यह प्रश्न उठा की प्रथम पूज्य किसे माना जाये तो देवता भगवान् शिव के पास पहुंचे तब शिव जी ने कहा संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा जो सबसे पहले कर लेगा उसे ही प्रथम पूज्य माना जायेगा। इस प्रकार सभी देवता अपने-अपने वाहन में बैठ कर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल पड़े।

चुकी गणेश भगवान् का वाहन चूहा है और उनका शरीर स्थूल है तो भगवान् गणेश कैसे परिक्रमा कर पाते, तब भगवान् गणेश जी ने अपनी बुद्धि और चतुराई से अपने पिता भगवान् शिव और माता पार्वती की तीन परिक्रमा पूरी की और हाथ जोड़ कर खड़े हो गए।

तब भगवान् शिव ने कहा की तुमसे बड़ा और बुद्धिमान इस पूरे संसार में और कोई नहीं है। माता और पिता की तीन परिक्रमा करने से तुमने तीनो लोको की परिक्रमा पूरी कर ली है और इसका पुण्य तुम्हे मिल गया जो पृथ्वी की परिक्रमा से भी बड़ा है।

इसलिए जो मनुष्य किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पहले तुम्हारा पूजन करेगा उसे किसी भी प्रकार की कठनाईयो का सामना नहीं करना पड़ेगा।बस तभी से भगवान् गणेश अग्र पूज्य हो गये और उनकी पूजा सभी देवी और देवताओ से पहले की जाने लगी और फिर भगवान् गणेश की पूजा के बाद बाकी सभी देवताओ की पूजा की जाती है। इसलिए गणेश चतुर्थी में गणेश भगवान् की पूजा की जाती है।

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गणेश स्थापना से लेकर विसर्जन तक के पीछे की मान्यता

गणेश चतुर्थी 2021 : गणेश चतुर्थी का इतिहास व महत्व, क्यों और कैसे मनाया जाता है गणेशोत्सव
Ganesh Ji

धर्म ग्रंथों के अनुसार महाभारत की रचना महर्षि वेद व्यास ने की थी, लेकिन उसे लिखने का काम गणपति जी ने पूर्ण किया था. लेखन का कार्य पूरे 10 दिनों तक ​चला था. उस दौरान गणपति ने दिन और रात ये काम किया था. कार्य के दौरान गणपति के शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए महर्षि वेदव्यास जी ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप कर दिया था.

कहा जाता है कि चतुर्थी के दिन ही महाभारत के लेखन का ये कार्य पूरा हुआ था. कार्य पूर्ण होने के ​बाद वेद व्यास जी ने चतुर्थी के दिन उनकी पूजा की. लेकिन कार्य करते करते गणपति काफी थक गए थे और लेप सूखने से उनके शरीर में अकड़न आ गई थी और उनके शरीर का तापमान भी बढ़ गया था और मिट्टी सूखकर झड़ने लगी थी. इसके बाद वेद व्यास जी ने उन्हें अपनी कुटिया में रखकर उनकी काफी देखरेख की. उन्हें खाने पीने के लिए तमाम पसंदीदा व्यंजन दिए और उनके शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए सरोवर में डुबोया.

तभी से चतुर्थी के दिन गणपति को घर लाने की प्रथा चल पड़ी. चतुर्थी के दिन गणपति के भक्त उन्हें घर लेकर आते हैं. उन्हें 5, 7, 9 दिनों तक घर में रखकर उनकी सेवा करते हैं. उनके पसंदीदा व्यंजन उन्हें अर्पित करते हैं और उसके बाद जल में उनकी प्रतिमा को विसर्जित कर देते हैं.

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कैसे मनाते हैं गणेश उत्सव

दस दिनों तक चलने वाला यह त्योहार हिन्दुओं की आस्था का एक ऐसा अद्भुत प्रमाण है जिसमें कि शिव-पार्वती-नंदन श्री गणेश की 3/4 इंच से लेकर 25 फुट या इससे भी अधिक ऊँचाई की प्रतिमा को घरों, मन्दिरों अथवा पन्डालों में साज-श्रँगार के साथ शुद्ध चतुर्थी वाले दिन स्थापित किया जाता है.

इस मूर्ति में मन्त्रोच्चारण के साथ “प्राणप्रतिष्ठा” जाती है। दस दिन तक अर्थात अनंत-चतुर्दशी तक गणेश प्रतिमा का नित्य विधिपूर्वक पूजन किया जाता है, ग्यारहवें दिन इस प्रतिमा को किसी स्वच्छ जलाशय जैसे कि नदी अथवा सागर आदि में प्रवाहित (विसर्जित) कर दिया जाता है।

गणेश चतुर्थी 2021 : गणेश चतुर्थी का इतिहास व महत्व, क्यों और कैसे मनाया जाता है गणेशोत्सव
Celebration

महाराष्ट्र में गणपति बप्पा मोरया की गूंज

महाराष्ट्र में विसर्जन के इस दिन विशेष आयोजन होते हैं तथा जलाशयों पर उमड़े जनसैलाव व उनकी आस्था को देखकर मन भावविभोर हो उठता है। इस दिन समस्त श्रद्धालुगण गणेश-प्रतिमा को हाथों, रथों व वाहनों पर उठा कर बहुत धूम-धाम से गाजों-बाजों के साथ इसे प्रवाहित करने के लिए पैदल ही जलाशयों की ओर चल पड़ते हैं और ऊँची आवाज में नारे लगाते हैं, “गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया, पर्चा वर्षी लौकरिया।” जिसका अर्थ होता है कि “ओ परमपिता गणेश जी! मंगल करने वाले, अगले बरस जल्दी आना।” यह शुभ पर्व हिन्दुओं के लिए बहुत ही प्रसन्नता का समय होता है।

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FAQ

गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है ?

हर साल भाद्रपद मास की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है

गणेश उत्सव भारत के मुख़्यत किन राज्यों में मनाया जाता है ?

महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक

वर्ष 2021 में गणेश चतुर्थी कब है?

10 सितंबर 2021

1893 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा गणेश उत्सव का आरम्भ क्यों किया गया?

अंग्रजो के विरुद्ध एक जुट करने के लिए एक बड़े पैमाने पर इस उत्सव का आयोजन किया गया.

महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश जी के शरीर पर क्यों और किस का लेप कर दिया था?

महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश जी के शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए उनके शरीर पर मिट्टी का लेप कर दिया था.

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Mrs. Shakuntla

MrsShakuntla M.A.(English) B.Ed, Diploma in Fabric Painting, Hotel Management. संस्था Art of Living के सत्संग कार्यकर्मो में भजन गाती हूँ। शिक्षा के क्षेत्र में 20 वर्ष के तजुर्बे व् ज्ञान से माता पिता, बच्चों की समस्यायों को हल करने में समाज को अपना योगदान दे संकू इसलिए यह वेबसाइट बनाई है।

22 thoughts on “गणेश चतुर्थी 2022 : गणेश चतुर्थी का इतिहास व महत्व, क्यों और कैसे मनाया जाता है गणेशोत्सव

  1. Useful
    ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।
    🙏🙏🙏

  2. Mujhe Ganpati ji ke Itihaas ke bare mein jyada pata nahin tha lekin aaj mujhe unke Itihaas ke bare aur Unki aloukik Chhavi ke bare mein is article dwara Pata Chala Hai jisse a Bhagwan Ganpati Ji Ayi ke Prati Meri Shradha aur badh gai hai

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