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हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को गुरु नानक देव जी की जयंती के अवसर पर गुरुपूरब का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष 2022 में गुरु नानक देव जी की 553 वीं जयंती 8 नवंबर, मंगलवार को मनाई जा रही है । इस आर्टिकल के माध्यम से आपको गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं के बारे में जानकारी दी गयी है.
गुरु नानक देव जयंती का इतिहास
गुरु नानक देव सिख धर्म के पहले गुरु थे. गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 ई. को हुआ था.नानक जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को पंजाब (पाकिस्तान) क्षेत्र में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में हुआ. हालांकि अब गुरु नानक जी का ये जन्म स्थल अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद है.

अब इस जगह का नाम ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. यहां देश विदेश से लोग चर्चित गुरुद्वारा ननकाना साहिब (Gurdwara Nankana Sahib) के दर्शन के लिए आते हैं.

कहते हैं कि सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह (Maharaja Ranjit Singh) ने यह गुरुद्वारा ‘ननकाना साहिब’ बनवाया था.
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कौन थे गुरु नानक देव जी
550 साल पहले भारत में गुरुनानक देव जी नामक एक महान संत हुए। गुरु नानक देव जी पंजाब के रहने वाले थे। गुरु नानक देव जी ने संसार के चारो कोनो में आध्यात्मिकता, परमेश्वर के साथ एकता, और भक्ति के महत्व को फैलाया। सिख समुदाय गुरु नानक देव जी का जन्मदिन गुरुपूरब का त्योहार के रूप में मनाता है।

गुरुनानक देव जी सिक्खो के प्रथम गुरु है जिन्हे सिख धर्म का संस्थापक माना जाता है. सिख परंपरा के सभी दस गुरुओं की कहानियां हर्षित और उत्थान हैं – वह उनके त्याग को दर्शाती हैं। गुरुओं ने अच्छे, निर्दोष और धार्मिक लोगों की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया।
गुरुनानक देव जी मूर्तिपूजा को निरर्थक माना और हमेशा ही रूढ़ियों और कुसंस्कारों के विरोध में रहे थे. यही कारण है कि कहा जाता है कि गुरुनानक देव जी ने ही सिख समाज की नींव रखी थी. सिख समुदाय के गुरुनानक देव जी पहले गुरु भी इस कारण से ही उनकी विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है. गुरुनानक देव को उनके भक्त नानक देव, बाबा नानक और नानकशाह के से पुकारते हैं.
इतना ही नहीं कहा जाता है कि लद्दाख और तिब्बत क्षेत्र में नानक लामा भी कहा जाता है.नानक जी की मृत्यु 22 सितंबर 1539 ईस्वी को हुआ। इन्होंने अपनी मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए. गुरुनानक देव जी ने अपनी जिंदगी मानव समाज के कल्याण में लगा दी थी.
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गुरु नानक जयंती कैसे मनाई जाती है?
गुरुनानक देव जयंती पूरी दुनिया में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। समारोह दो दिन पहले गुरुद्वारा में शुरू होता है।श्रीगुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ (बिना रुके किये जाना वाला पाठ) 48 घंटे का आयोजित किया जाता है। इस उपरांत विश्व के कल्याण (सरबत दा भला) की अरदास की जाती है. श्रद्धालु गुरुद्वारा में मोमबत्तियां व दिये जला कर रोशनी करते है. सभी वर्गो के लोग बिना किसी भेदभाव के पंगत में बैठ कर लंगर छकते (खाते) है.

गुरुनानक देव जी के जन्मदिन से एक दिन पहले नगर कीर्तन (धार्मिक जुलूस) का भी आयोजन किया जाता है। इसका नेतृत्व पांच लोगों द्वारा किया जाता है, जिन्हें पंज प्यारे के रूप में जाना जाता है, जो सिख त्रिकोणीय ध्वज, निशान साहिब धारण करते हैं। नगर कीर्तन के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब को पालकी में बिठाया जाता है।

लोग समूहों में भजन गाते हैं, पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्र बजाते हैं और अपने मार्शल आर्ट कौशल का प्रदर्शन भी करते हैं।
गुरु नानक देव जी का तेरा (तुम्हारा) शब्द से नाता
कई बार, गुरु नानक देव जी के पिता उन्हें बाजार में सब्जियां बेचने के लिए कहते थे। सब्जियां बेचते समय, जैसे वह गिनती शुरू करते थे, वह 13 नंबर पर रुक जाते थे, जिसका अर्थ तेरा “तुम्हारा” भी होता है।

तेरा शब्द सुनकर, वह दैवीय विचारों में विसर्जित हो जाते थे। इसलिए, काम करते समय भी, उनका मन काम में नहीं बल्कि सिर्फ परमात्मा पर लगता था। गुरु नानक का जीवन प्रेम, ज्ञान और वीरता से भरा हुआ था।
गुरु नानक देव जी की रचना : जपुजी साहिब
जपजी साहिब – सिख धर्म की सबसे महत्वपूर्ण प्रार्थना – गुरु नानक देव जी द्वारा लिखी गई थी।
श्रीगुरु ग्रंथ साहिब में एक सुंदर प्रार्थना है, जो कुछ इस तरह है, “एक ओन्कर (भगवान एक है), सतनाम (उसका नाम सत्य है), कर्ता-पुरख (वह निर्माता है), निर्भौ (वह बिना डर के), निर्वार् (वह किसी के समान नहीं है), अकाल- मूरत (वह कभी मरता नहीं), अंजुनि सह्भम (वह जन्म और मृत्यु से परे है), गुरप्रसाद (वह सच्चे गुरु की दया से महसूस होता है), जप (उसका नाम दोहराएं), आदि सच (वह सच है), जुगाद सच (वह कभी भी सच है), है भी सच (वह अब सच्चाई है), नानक होसी भी सच (वह भविष्य में सच हो जाएगा)।”
पूरी दुनिया एक ओमकार (एक दिव्यता) से पैदा होती है। हमारे चारों तरफ सब कुछ एक अकेले ओमकार के स्पंदन से बना है और आप केवल गुरु की कृपा से ही ओम को जान सकते हैं। यह हर जगह है, लेकिन यह केवल गुरु के माध्यम से ही समझा जा सकता है।
गुरु नानक देव के संदेश से प्रेरणा

गुरु नानक देव जी के जन्मदिन पर हमें अपने आपको याद दिलाना चाहिए की हमें माया मैं उलझना नहीं चाहिए। आइए हम खुश रहे , दूसरों को खुश रखें , प्रार्थना करें, सेवा करें और धर्म की रक्षा के लिए कार्य करें।
प्रसिद्ध बानी जपु जी साहिब की रचियता बाणी
FAQ
1. गुरु नानक देव जी का जन्म कब हुआ था?
गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था.
2. गुरु नानक देव जी का जन्म कहाँ हुआ था?
गुरु नानक देव जी का जन्म पंजाब (पाकिस्तान) क्षेत्र में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में हुआ था.
3. गुरु नानक देव जी का जन्म स्थान कहां है ?
गुरु नानक देव जी का जन्म स्थान अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मौजूद है. अब इस जगह का नाम ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है.
4. गुरु नानक देव जी के पिता जी का नाम क्या है?
गुरु नानक देव जी के पिता जी का नाम श्री मेहता कालू है.
5. गुरु नानक देव जी के माता जी का नाम क्या है?
गुरु नानक देव जी के माता जी का नाम तृप्ता देवी है.
6. गुरु नानक देव जी ने किस को अपना उत्तराधिकारी बनाया?
गुरु नानक देव जी ने मृत्यु से पहले अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी बनाया, जो बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए.
7. प्रसिद्ध बाणी जपु जी साहिब की रचियेता कौन है?
गुरु नानक देव जी
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