भगवद गीता के 7 अमूल्य सबक

भगवद गीता मानव विकास की पूरी श्रृंखला को पूरा करती है। यह शिष्टता और समता और कर्तव्य को निभाने के लिए है। भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने वो सात महत्वपूर्ण सबक दिए हैं जिन्हें हम सभी को याद रखना चाहिए।

सम्मान अस्तित्व

भगवद गीता के 7 अमूल्य सबक सम्मान अस्तित्व

भगवद गीता कहती है कि ब्रह्मांड आठ तत्वों से बना है: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, अंतरिक्ष , मन, बुद्धि और चेतना। मानव अस्तित्व के लिए पांच कोश हैं पर्यावरण, भौतिक शरीर, प्राण या ऊर्जा, मन और चेतना। तो, संपूर्ण ब्रह्मांड एक व्यक्तिगत हिस्सा है, और हम ब्रह्मांड के अभिन्न अंग हैं।

शांतिपूर्ण लड़ाई

भगवद गीता के 7 अमूल्य सबक

कृष्ण अर्जुन को लड़ने के लिए कहते हैं लेकिन साथ ही साथ शांति से रहें। वे कहते हैं, “पहले, अंदर जाओ और अपने आप को शुद्ध करो। घृणा से मत लड़ो, न्याय के लिए लड़ो; समभाव से लड़ो।”

अपने मन का ध्यान रखें

भगवद गीता के 7 अमूल्य सबक

गीता कहती है, “आपका अपना मन ही आपके बंधन और आपकी मुक्ति के लिए जिम्मेदार है।” आपका दिमाग हर समय बदलता रहता है। यदि आपका मन साधना (आध्यात्मिक प्रथाओं) के माध्यम से अच्छी तरह से प्रशिक्षित है, तो यह मित्रता करता है और आपकी मदद करता है। नहीं तो आपका अपना मन शत्रु के समान व्यवहार करता है।

कर्म योग

भगवद गीता के 7 अमूल्य सबक

 निष्काम-कर्म से मुक्ति मिलती है – कर्म, जो बिना किसी ज्वर या कर्म के फल की आसक्ति के किया जाता है। कर्म योग पूरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहा है।

चोट को रोकें

भगवान कृष्ण पहले अर्जुन को यह कहकर चोट पहुँचाते हैं, “आप युद्ध के मैदान से भागने के लिए तैयार हो ,तुम कितने कायर हो ?” लेकिन अर्जुन बहस नहीं करता। स्थिति को देखो। 

यदि किसी बुद्धिमान व्यक्ति के कार्यों से या किसी का आप बहुत सम्मान करते हैं, वो आपको दुख  पंहुचा रहा है, तो जान लें कि यह किसी अच्छे कारण से है।

अगर कोई दोस्त आपको चोट पहुँचा रहा है, तो जान लें कि कोई कर्म छूट रहा है। यदि किसी अज्ञानी व्यक्ति से दुख आ रहा हो तो दया करो। ये तीन एटीट्यूड आपके पूरे व्यक्तित्व को चमका सकते हैं।

खुशी उसी में है जो नहीं बदलती

याद रखो कि जो कुछ पलो के लिए है ,वह दु:खदायी है। सुख तुम्हारे भीतर है। उसमें सुख की तलाश मत करो जो अस्थायी, और परिवर्तनशील है। खुशी उसी में है जो नहीं बदलती।

समय के प्रवाह को देखें

गीता की प्रासंगिकता आपके जीवन में घटनाओं के प्रवाह को देखने में है। वो है ‘साक्षी’! अपने अतीत को देखो – क्या यह सपना नहीं है? इसी तरह, और 20 साल बीत जाएंगे। 

खुशी उसी में है जो नहीं बदलती

यह याद करते हुए कि, “अप्रिय या सुखद चीजें हो रही हैं, मैं इसका गवाह हूं। मेरा मन उसमें फंस जाना भी उसी घटना का हिस्सा है। मैं भी इसका गवाह हूं।” इस तरह आप किसी भी स्थिति से ऊपर उठते हैं।

जैसे हवा आती है और सब कुछ उड़ा देती है, वैसे ही जीवन की सभी घटनाएं आती-जाती रहती हैं। लेकिन जरूरी यह है कि आप कहीं फंस न जाएं, आगे बढ़ें और अपने प्रयास में लग जाएं। जो कुछ तुम्हारा है वह तुम्हारे पास अवश्य आएगा।


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Mrs. Shakuntla

MrsShakuntla M.A.(English) B.Ed, Diploma in Fabric Painting, Hotel Management. संस्था Art of Living के सत्संग कार्यकर्मो में भजन गाती हूँ। शिक्षा के क्षेत्र में 20 वर्ष के तजुर्बे व् ज्ञान से माता पिता, बच्चों की समस्यायों को हल करने में समाज को अपना योगदान दे संकू इसलिए यह वेबसाइट बनाई है।

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