मकर संक्रांति पर्व | मकर संक्रांति का महत्व | क्यों मनाई जाती है मकर संक्रांति|14 जनवरी

मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं। वजह एक ही है- सूर्य अब धीरे-धीरे दक्षिण से उत्तर की ओर होता जाता है। एक और खास बात- उत्तरायण में दिन बड़े और रातें छोटी होती जाती हैं। इस पर्व में जिंदगी और कामयाबी के कई सूत्र छिपे हैं। प्रोफेशनल लाइफ हो या पर्सनल, मकर संक्रांति से कई बातें सीखी जा सकती हैं।

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मकर संक्रांति

मकर संक्रांति को दान व स्नान के लिए बेहद शुभ माना जाता है. संक्रांति का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार संक्रांति के दिन अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं. शनि मकर व कुंभ राशि के स्वामी हैं. इसलिए आज के दिन पिता-पुत्र का मिलन होता है.

मकर संक्रांति पर क्या करें

1 -संक्रांति के दिन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पूजा-पाठ करें.
2- इस दिन तिल-गुड़ और खिचड़ी दान करने से विशेष लाभ होता है.
3- संक्रांति के दिन काले तिल दान का विशेष महत्व है. 
4- संक्रांति के दिन  खाने में भी सात्विकता का पालन करें.

मकर संक्रांति

क्या नहीं करें

1- संक्रांति के दिन भूल से भी रात का बचा हुआ या बासी खाना नहीं खाएं. इससे आपके अंदर अधिक गुस्सा और नकारात्मक ऊर्जा हावी होती है.
2- इस दिन लहसुन, प्याज और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए. 
3- इस दिन अधिक मसालेदार भोजन को भी खाने से बचना चाहिए.
4- इस दिन भूल से भी नशा नहीं करें. शराब, सिगरेट, गुटका आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए. 
5- मकर संक्रांति के दिन अपनी वाणी पर संयम रखें और गुस्सा ना करें.
6- गरीब निर्धन या घर आए किसी भिखारी को गलती से भी खाली हाथ न लौटाएं.

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मकर संक्रांति पर क्यों खाई जाती है खिचड़ी?

मकर संक्रांति पर सूर्य देव, नवग्रह और देवी-देवताओं की पूजा के साथ ही दान का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन किए गए दान-धर्म से कई गुना अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है. मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने का भी विशेष महत्व बताया गया है.

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति की खिचड़ी चावल, काली दाल, हल्दी, मटर और हरी सब्जियों का विशेष महत्व है. खिचड़ी के चावल से चंद्रमा और शुक्र की शांति का महत्व है. काली दाल से शनि, राहू और केतु का महत्व है, हल्दी से बृहस्पति का संबंध है और हरी सब्जियों से बुध का संबंध है. वहीं जब खिचड़ी पकती है तो उसकी गर्माहट का संबंध मंगल और सूर्य देव से है. इस प्रकार लगभग सभी ग्रहों का संबंध खिचड़ी से है, इसलिए मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने और दान का महत्व अधिक होता है.

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बाबा गोरखनाथ की कथा


ज्योतिषाचार्य ने बताया कि खिचड़ी से जुड़ी एक बाबा गोरखनाथ की कथा है.मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की ऐसी भी मान्यता है कि खिलजी के आक्रमण के दौरान बाबा गोरखनाथ के योगी खाना नहीं बना पाते थे और भूखे रहने की वजह से हर ढलते दिन के साथ कमजोर हो रहे थे.

मकर संक्रांति

योगियों की बिगड़ती हालत देखते हुए बाबा ने अपने योगियों को चावल, दाल और सब्जियों को मिलाकर पकाने की सलाह दी. यह भोजन कम समय में तैयार हो जाता था और इससे योगियों को ऊर्जा भी मिलती थी.

बाबा गोरखनाथ ने इस दाल, चावल और सब्जी से बने भोजन को खिचड़ी का नाम दिया. यही कारण है कि आज भी मकर संक्रांति के पर्व पर गोरखपुर में स्थित बाबा गोरखनाथ के मंदिर के पास खिचड़ी का मेला लगता है. इस दौरान बाबा को खासतौर पर खिचड़ी को भोग लगाया जाता है.

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मकर संक्रांति पर कैसे प्रसन्न होंगे भगवान सूर्य नारायण?


मकर संक्रांति पर सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. यह व्रत भगवान सूर्य नारायण को समर्पित है. इस दिन भगवान को तांबे के पात्र में जल, गुड़ और गुलाब की पत्तियां डालकर अर्घ्य दें. गुड़, तिल और मूंगदाल की खिचड़ी का सेवन करें और इन्हें गरीबों में बांटें. इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करना भी बड़ा शुभ बताया गया है. आप भगवान सूर्य नारायण के मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं.

मकर संक्रांति
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Mrs. Shakuntla

MrsShakuntla M.A.(English) B.Ed, Diploma in Fabric Painting, Hotel Management. संस्था Art of Living के सत्संग कार्यकर्मो में भजन गाती हूँ। शिक्षा के क्षेत्र में 20 वर्ष के तजुर्बे व् ज्ञान से माता पिता, बच्चों की समस्यायों को हल करने में समाज को अपना योगदान दे संकू इसलिए यह वेबसाइट बनाई है।

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