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Christmas Day महापर्व को दुनियाभर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। वही इन दिनों पूरी दुनिया में शानदार उत्साह देखने को मिलता है, क्योंकि इस त्यौहार के कुछ दिन बाद ही नए साल का आगमन होता है। जानिए Christmas Day के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी
वैसे दुनिया का एकमात्र ऐसे festival है, जिसे मनाने के लिए लगभग सभी देशों में छुट्टी होती है।

देवदूत बनके कोई आएगा,
सारी आशाए तुम्हारी,
पूरी करके जाएगा,
क्रिसमस के इस शुभ दिन पर
तोहफे खुशियों के दे जाएगा
आया संता आया लेके खुशियाँ हजार,
बच्चों के लिए गिफ्ट्स और ढेर सारा प्यार
हो जाए खुशियों की आप सब पर बहार,
मुबारक हो आपको
क्रिसमस का त्यौहार।
Christmas Day का महत्व
साल के सबसे बड़े दिन 25 दिसंबर को ईसाइयों के भगवान यीशु मसीह की याद में Christmas Day मनाया जाता है। जिन्होंने मानवता की धर्म की संरक्षण के लिए खुद को हँसते-हँसते शूली पर चढ़ा लिए थे।
जिसे ईसाई धर्मालंबी एक Christmas Day को ऐसे फेस्टिवल के तौर पर मनाते है, जिसमें परिवारों के मेल-मिलाना शामिल होता है। आखिर भगवान यीशु मसीह का यही अंतिम संदेश था।

शब्द “क्रिसमस” पुरानी अंग्रेज़ी क्रिस्टेस मैसे से आया है, जिसका अर्थ है “क्राइस्ट्स मास।”
Christmas Day 25 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है?
ईसाई धर्म के प्रारंभिक वर्षों में, ईस्टर मुख्य अवकाश था; यीशु का जन्म नहीं मनाया गया था। चौथी शताब्दी में, चर्च के अधिकारियों ने यीशु के जन्म को छुट्टी के रूप में मनाने का फैसला किया।
कई लोगों का तर्क है कि, ऐतिहासिक रूप से, सबूत बताते हैं कि Christmas Day वास्तव में 354 ईस्वी में ईसा मसीह के जन्म के एक ईसाई पूजन पर्व के रूप में मनाया गया था।
Christmas Day से जुड़े कई लोकप्रिय रीति-रिवाज यीशु के जन्म के स्मरणोत्सव से स्वतंत्र रूप से विकसित हुए, कुछ तत्वों की उत्पत्ति पूर्व-ईसाई त्योहारों में हुई थी, जो बुतपरस्त आबादी द्वारा शीतकालीन संक्रांति के आसपास मनाए गए थे, जिन्हें बाद में ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया गया था।

आज, अधिकांश ईसाई ग्रेगोरियन कैलेंडर में 25 दिसंबर की तारीख को Christmas Day मनाते हैं, जो धर्मनिरपेक्ष दुनिया में लगभग-सार्वभौमिक उपयोग में कैलेंडर भी है। Christmas Day की तारीख (जैसा कि कई लोग मानते हैं) को शुरू में उस दिन के ठीक नौ महीने बाद के दिन के अनुरूप चुना गया था जिस दिन प्रारंभिक ईसाइयों ने माना था कि यीशु मसीह की कल्पना की गई थी।
भगवान यीशु मसीह का जीवन परिचय
लगभग 2000 वर्ष पूर्व भगवान यीशु मसीह का जन्म मरियम और युसुफ के घर बेथलहेम में हुआ था। ऐसा माना जाता है कि उनकी माँ शादी से पहले ही ईश्वरीय प्रकोप से गर्भवती हो गई थी और युसुफ को शादी करने का सपना आया था।

खैर ईसा का जन्म यही हुआ। लेकिन उनको राजा हेरोद से खतरा था। इसलिए युसुफ ने उन्हें मिस्र ले गए। तब राजा हेरोद की मृत्यु हुई तो युसुफ नाथरेज गाँव में आ गए। जब वे 12 वर्ष के हुए तो येरूशलम में तीन तक मंदिरों में उपदेशक के बीच रहे। इस छोटी-सी उम्र में ही उन्होंने सभी सवालों का जवाब दिया। जिससे सभी चकित हो गए। तब वे अपने पिता के साथ पाने गाँव लौट आए और पिता से बढ़ई का काम सीख लिया। जिसे करने लगे।
लेकिन उनका मन उसमें नहीं रमा और भक्ति की तरफ चले गए। 30 की उम्र में यूहन्ना के साथ पानी डुबकी लगाई। फिर ईसा पर पवित्र आत्मा आया। 40 दिन के उपवास के बाद लोगों को शिक्षा देने लगे। दिनों-दिनों उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी।

जिससे और भी धर्म गुरुओं को जलन होने लगी। फिर उनपर झूठी लांछन लगाकर रोमन गवर्नर पिलातुस से उनकी शिकायत कर दी। फिर क्रूर गवर्नर ने उन्हें शूली पर चढ़ा दिया। ऐसा माना जाता है कि शूली पर चढ़ते हुए ईसा मसीह ने सभी मानव का पाप खुद पर ले लिए थे, इसलिए जो उनपर विश्वाश करेगा, वह स्वर्ग में जाएगा।

खैर मृत्यु के तीन बाद ईसा जाग उठे और 40 दिन बाद सीधे स्वर्ग चले गए। तब ईसा के 12 शिष्यों ने इस धर्म के रूप में फैलाया, जिसे ईसाई धर्म कहा जाता है।
भगवान यीशु मानव जाति के सलामती के लिए खुशी-खुशी क्रूस पर चढ़ गए थे और सभी को मिल जुड़कर रहकर का संदेश दे गया। इसलिए Christmas Day खूबसूरत त्यौहार को धूमधाम से मनाया चाहिए और भगवान यीशु के मानव संदेश को दूसरों तक जरूर पहुंचाना चाहिए।
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Christmas Day कैसे मनाया जाता है?
Christmas Day की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में ऐतिहासिक जड़ें हैं, यह लंबे समय से धर्मनिरपेक्ष तरीके से भी मनाया जाता रहा है।

Christmas Day की लोकप्रिय आधुनिक परंपराओं में उपहार देना, आगमन कैलेंडर या आगमन पुष्पांजलि, क्रिसमस संगीत, क्रिसमस कार्ड का आदान-प्रदान, चर्च सेवाएं, एक विशेष भोजन और क्रिसमस के पेड़, क्रिसमस रोशनी सहित विभिन्न क्रिसमस सजावट का प्रदर्शन शामिल है। जन्म के दृश्य, माला, माल्यार्पण, मिलेटलेट और होली।

Christmas Day पर क्रिसमस ट्री को रंग-बिरंगे लाइटस और फूलों से सजाया जाता है। जिसका पूरा परिवार परिक्रमा करता है। अंत में केक कटिंग करते है और इस त्यौहार को धूमधाम से पूर्ण करते है।
वही इन दिनों छुट्टियाँ होने के कारण परिवार मॉल, क्लब्स व होटल्स में जाते है, जहां वे पूरा दिन आनंदमयी तरीके से बिताते है। यह जश्न पूरे 1 जनवरी तक चलता है।
अस्सिसी के रहने वाले संत फ्रांसिस ने 13वें सदी में सबसे पहले क्रिसमस कैरोल्स (Christmas Carols) में गीत गाने का शुरुवात किया।
सन 1857 में James Pierpont ने Jingle Bells गीत को लिखा।
Christmas Day पर क्रिसमस के गीत गाए जाते हैं, यीशु मसीह की गाथाएं प्रार्थनाएं गाई जाती हैं। क्रिसमस के विभिन्न प्रकार के रंगीन कार्ड बनाए जाते हैं और एक-दूसरे को वितरित किए जाते हैं। इस तरह इस दिन तो सभी जगह आमोद-प्रमोद ही नजर आता है।

सभी गिरजाघरों में यीशु मसीह की बहुत ही सुंदर-सुंदर झांकियां सजाई जाती हैं जिन्हें देखने के लिए विदेशों से भी सैलानियों का मेला सा लग जाता है। 24-25 दिसंबर की रात आराधनालयों में मोमबत्तियाँ सजाई जाती है और यीशु की प्रार्थनाएँ की जाती है.
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क्रिसमस में सजाये जाने वाले कुछ मुख्य चीजें
क्रिसमस ट्री , क्रिसमस लाइट, पुष्पमालाएं, अमरबेल और प्रभु श्री इशु मसीह के जन्म स्थान के फोटो (Christmas trees, Christmas lights, wreaths, garland, holly, mistletoe, and nativity scenes.)
क्रिसमस ट्री का विचार कैसे शुरू हुआ?
इसकी उत्पत्ति शायद ईसाई धर्म की शुरुआत से बहुत पहले शीतकालीन समारोहों के भीतर हुई है। एक पेड़ को सजाने की प्रथा, या पौधों और पेड़ों का उपयोग करना जो साल भर हरे-भरे थे, सर्दियों के मौसम में लोगों के लिए महत्वपूर्ण थे।

कुछ संस्कृतियों का मानना था कि सदाबहार चुड़ैलों, भूतों, बुरी आत्माओं और यहां तक कि बीमारी को भी दूर रखेंगे। मध्य युग के दौरान, 24 दिसंबर को आदम और हव्वा के पर्व के रूप में मनाया जाता था, जो एक स्वर्ग वृक्ष के साथ पूरा होता था, जो लाल सेब के साथ लटका हुआ एक देवदार का पेड़ था।
आज, Christmas Day ईसाई उत्सव के हिस्से के रूप में सजाए गए सदाबहार पेड़ों का उपयोग करने की प्रथा जर्मनी में 400 साल पहले शुरू हुई एक प्रथा है जो पूरे उत्तरी यूरोप में तेजी से फैल गई और इसलिए, यूरोपीय आप्रवासियों द्वारा नई दुनिया में प्रत्यारोपित एक परंपरा बन गई।
सन 1950 में Washington Mall में विश्व का सबसे बड़ा 226 फीट ऊँचा Christmas Tree लगाया गया था।
क्रिसमस उपहार देने का रिवाज कैसे शुरू हुआ?
प्राचीन रोमनों ने जनवरी के कैलेंडर (पहले दिन) पर एक-दूसरे को उपहार दिए, और यह प्रथा पूरे रोमन साम्राज्य में फैल गई।

आखिरकार, ईसाइयों ने 25 दिसंबर Christmas Day पर रिवाज को स्थानांतरित कर दिया, हालांकि कई ईसाई अभी भी 6 जनवरी को उपहार देते हैं, एपिफेनी की दावत, मैगी को यीशु की दिव्य प्रकृति की अभिव्यक्ति की याद दिलाती है।
Christmas Day और सांता क्लॉज़ (Santa Clause) का सम्बन्ध ?
सांता क्लॉज़ (Santa Clause) के विषय में तो सभी जानते हैं पर कुछ ऐसे भी पात्र क्रिसमस से जुड़ें हैं जो इसका अभिन्न हिस्सा हैं जैसे क्राइस्टकाइंड, संत निकोलस, और पिता क्रिसमस (Christkind, Saint Nicholas, and Father Christmas.)

कहा जाता है Santa को क्रिसमस की पूर्व संध्या (Christmas Eve) को 822 घरों को एक सेकंड में यात्रा करना होता है।
12वें सदी में नन्स (Nuns) ने गरीब लोगों के दरवाज़े पर socks में संतरा, बादाम और फल रख कर उन्हें भेंट किया था तब से मोज़े में संतरा भेट करने का रिवाज़ शुरू हुआ।
Christmas Day पर केक का महत्व
क्रिसमस का त्योहार लोगों को सबके साथ मिल-जुलकर रहने का संदेश देता है। ईसा मसीह कहते थे-दीन-दुखियों की सेवा संसार का सबसे बड़ा धर्म है।
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इस दिन केक का बहुत महत्व होता है। लोग एक दूसरे को उपहार स्वरूप केक भी देते है और अपने यहां भोज पर आमंत्रित करते है। ईसाई लोग अपने घर में तरह -तरह के केक बनाते है।

Christmas Day पर लोग क्रिसमस के पेड़ को सजाते है, अपने दोस्त, रिश्तेदार और पड़ोसियों के साथ खुशियाँ मनाते है और उपहार बाँटते है। इस दिन की मध्यरात्रि को 12 बजे सेंता क्लाज हर एक के घर आते है और चुपचाप बच्चों के लिये उनके घरों में प्यारे-प्यारे उपहार रखते है।
अगली सुबह ही अपनी पसंद के उपहार पाकर बच्चे भी बहुत खुश होते है। इस दिन सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, कार्यालय और दूसरे सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान आदि बंद रहते है। पूरे दिन ढेर सारे क्रिया-कलापों द्वारा Christmas Day के रुप में लोग इसका आनन्द उठाते है।

लोग बड़े डिनर पार्टी का लुत्फ उठाते है जिसे भोज कहते है। इस खास मौके पर ढ़ेर सारे लजीज़ व्यंजन, मिठाई, बादाम आदि बनाकर डाईनिंग टेबुल पर लगाते है। सभी लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनते है, नृत्य करते है, गाते है, और मज़ेदार क्रिया-कलापों के द्वारा कर खुशी मनाते है।
Christmas Day पर दिन ईसाई समुदाय अपने ईश्वर से दुआ करते है, अपने सभी गलतियों के लिये माफी माँगते है, पवित्र गीत गाते है और अपने प्रियजनों से खुशी से मिलते है।
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