Diwali 2022 | दिवाली की सम्पूर्ण जानकारी | All Detail About Diwali | दीपावली 24 अक्टूबर 2022

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Diwali 2022 : दिवाली (दीपावली) का मतलब है प्रकाश का त्यौहार। आप में से हर कोई अपने आप में एक प्रकाश है। यह त्योहार पूरे भारत, विश्व के अन्य देशों जैसे नेपाल, सिंगापुर, मलेशिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया, मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और दक्षिण अफ्रीका में मनाया जाता है।

लोग एक दूसरे को दिवाली (दीपावली) की शुभकामनाएं देते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। दिवाली (दीपावली) के समय हम अतीत के सारे दुःख भूल जाते हैं। जो कुछ भी दिमाग में भरा पड़ा हो, आप पटाखे चलाते हो और सब भूल जाते हो। पटाखों की तरह अतीत भी चला जाता है,सब जल जाता है और मन नया बन जाता है। यही दिवाली (दीपावली) है।

Diwali 2022 कब है 

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दिवाली 2022 अक्टूबर 24,  2022 को मनाई जाएगी। इस दिन, भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिसे दिवाली पूजा या लक्ष्मी गणेश पूजन के रूप में जाना जाता है।

Diwali 2022 पूजन का शुभ मुहूर्त

Diwali 2022 : देवी लक्ष्‍मी के पूजन का शुभ मुहूर्त- शाम  6 बजकर 54 मिनट से आरंभ होकर रात 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। यानि आप 1 घंटे 21 मिनट के मध्‍य देवी लक्ष्‍मी का पूजन संपन्न कर सकते हैं। वहीं दिवाली वाले दिन प्रदोष काल शाम 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप पूजा की तैयार कर सकती हैं। वृषभ काल शाम 6 बजकर 54 मिनट से आरंभ होकर 8 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। 

दीपावली की धार्मिक मान्यताएँ 

Diwali 2022 : पूरे भारत में दीपावली पूरे धूमधाम से मनाई जाती है। सिर्फ हिन्दू ही नहीं दीपावली का त्योहार सिख, जैन और अन्य धर्मों में भी पूरे उल्लास के साथ मनाया  जाता है। इसके पीछे उनकी अपनी वजह और धार्मिक मान्यताएं भी अलग-अलग है। आइए इन मान्यताओं के बारे में जानते है :

हिन्दू धर्म की मान्यता 

Diwali 2022 : इसी दिन भगवान श्री रामचंद्र जी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे. तब अयोध्यावासियों ने श्री राम के स्वागत में घी के दीए जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी।

दीपावली की हिन्दू धर्म की मान्यता 

इसी परंपरा को ध्यान में रखते हुए, दिवाली पर दिए जलाकर मर्यादा पुरुषोत्तम राम को याद किया जाता है.

सिख धर्म की मान्यता

Diwali 2022 : दिवाली के दिन सिख धर्म के अनुयायी ‘बंदी छोड़ दिवस’ के नाम से त्यौहार मनाते हैं। मुगल बादशाह जहांगीर ने सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद साहिब को ग्वालियर के किले में कैद किया था, जहां पहले से ही 52 हिन्दू राजा कैद में रखे गए थे।

जब गुरु जी किले में आए तो सभी राजाओं ने उनका सम्मान किया। गुरु हरगोबिंद साहिब की ये इस प्रसिद्धि से जहांगीर को झटका लगा और साईं मियां मीर की बात मानते हुए जहांगीर ने उन्हें छोड़ने का फैसला सुनाया, लेकिन गुरु हरगोबिंद साहिब ने अकेले रिहा होने से मना कर दिया और 52 राजाओं की रिहाई की बात कही। 

दीपावली की सिख धर्म की मान्यता

अंत में जहांगीर को गुरु जी की बात माननी  पड़ी और कार्तिक की अमावस्या यानी की दिवाली के दिन उन्हें 52 राजाओं सहित रिहा किया गया। सिख इस कार्तिक की अमावस्या को “बंदी छोड दिवस” के रूप में मनाते हैं।

जैन धर्म की मान्यता

Diwali 2022 : जैन समाज द्वारा दिवाली, महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। महावीर स्वामी को इसी दिन (कार्तिक अमावस्या) को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।

दीपावली की जैन धर्म की मान्यता

इसी दिन संध्याकाल में उनके प्रथम शिष्य गौतम गणधर को भी ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

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Diwali 2022 : पांच दिनों का त्यौहार 

Diwali 2022 : दीपावली का त्यौहार पांच दिनों तक मनाया जाता है. 

सबसे पहले कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान धन्वंतरि का पूजन किया जाता है. इस दिन नए वस्त्रों और बर्तनों को खरीदना शुभ माना जाता है. 

अगले दिन यमराज के निमित्त नरक चतुर्दशी का व्रत व पूजन किया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था. इसे हम छोटी दीपावली के नाम से भी जानते हैं.

तीसरे दिन कार्तिक अमावस्या को दीपावली का पर्व होता है जिसमें लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. अमावस्या की अंधेरी रात दीयों की रोशनी से जगमगा उठती है.

इसके अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा में गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है और उसे भोग लगाया जाता है. उसके बाद धूप-दीप से पूजन किया जाता है. 

अंतिम दिन भैया दूज के साथ इस पर्व का समापन हो जाता है.

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दिवाली कैसे मनाई जाती है

Diwali 2022 : इस त्योहार की तैयारी के तहत लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई करते हैं। साथ ही घरों और अपनी दुकानों आदि की रंगाई-पुताई भी करते हैं। घरों में लड़ियाँ लगा कर सजाया जाता है. बाज़ारों की गलियों को सुनहरी झंडियों आदि से सजाया जाता है। इस तरह दीपावली से पहले ही घर, मोहल्ले, बाजार आदि सब साफ सजे हुए दिखाई देते है।

पहला दिन (धनतेरस/ धनतृयोदशी) : 

सबसे पहले कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस शुभ दिन पर लोग सोना-चांदी, बर्तन आदि खरीदकर घर पर लाते है। यह दिन भगवान धनवंतरी की जयंती के उपलक्ष्य मे मनाया जाता है.

दूसरा दिन (नरक चतुर्दशी) :

Diwali 2022 : इस दिन लोग सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके नए कपड़े पहनते है और अपने घरो मे और आसपास दीपक जलाते है और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते है और पूजा करने के बाद पटाखे जलाते हैं।

तीसरा दिन (अमावस्या) :

Diwali 2022 : इस मुख्य दिन पर लोग नए कपड़े पहनकर माता लक्ष्मी जी, सरस्वती जी और गणेशजी की पूजा की जाती है। घर को रंगोली बना कर सजाया जाता है. लोग अलग अलग तरह की मिठाइयां व पकवान बना कर एक दूसरे को बाँट कर दिवाली की  शुभकामनाएं देते है.   लोग देवी देवता की आराधना कर माता लक्ष्मी से सदा घर मे रहने का निवेदन करते है। इस महान पूजा के बाद घरों और सड़कों पर दीपक, मोमबत्तियां  और पटाखे जलाए जाते है। इस त्यौहार का सबसे महत्वपूर्ण दिन भी यही है।

चौथा दिन (गोवर्धन पूजा/शुक्ल प्रतिपदा) :

Diwali 2022 :भगवान कृष्ण द्वारा इन्द्र के गर्व को पराजित करके लगातार बारिश और बाढ़ से बहुत से लोगो और मवेशियों के जीवन की रक्षा करने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठा लिया था। इसलिए इस दिन लोग अपने गाय-बैलों को सजाते है और गोबर को पर्वत बनाकर पूजा करते है और पटाखे चलाते है। लोग इस दिन अपने रिश्तेदारों से मिलने जाते है।

पांचवां दिन (भाई दूज) :

Diwali 2022 :इस दिन त्यौहार भाइयों और बहनों का है। इस दिन यम देवता अपनी बहन यामी से मिलने गए और वहां अपनी बहन द्वारा उनका आरती के साथ स्वागत हुआ और यम देवता ने अपनी बहन को उपहार दिया। इस तरह बहन अपने भाइयों की आरती करती है और फिर भाई अपनी बहन को उपहार भेंट करता है।

इस तरह दीपावली का पर्व पांच दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है.

शुभ मुहूर्त व पूजा विधि

दिवाली 2022 : धनतेरस व लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त व पूजा विधि


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Mrs. Shakuntla

MrsShakuntla M.A.(English) B.Ed, Diploma in Fabric Painting, Hotel Management. संस्था Art of Living के सत्संग कार्यकर्मो में भजन गाती हूँ। शिक्षा के क्षेत्र में 20 वर्ष के तजुर्बे व् ज्ञान से माता पिता, बच्चों की समस्यायों को हल करने में समाज को अपना योगदान दे संकू इसलिए यह वेबसाइट बनाई है।

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