भगवद गीता मानव विकास की पूरी श्रृंखला को पूरा करती है। यह शिष्टता और समता और कर्तव्य को निभाने के लिए है। भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने वो सात महत्वपूर्ण सबक दिए हैं जिन्हें हम सभी को याद रखना चाहिए।
भगवद गीता मानव विकास की पूरी श्रृंखला को पूरा करती है। यह शिष्टता और समता और कर्तव्य को निभाने के लिए है। भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने वो सात महत्वपूर्ण सबक दिए हैं जिन्हें हम सभी को याद रखना चाहिए।
भगवद गीता कहती है कि ब्रह्मांड आठ तत्वों से बना है: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, अंतरिक्ष , मन, बुद्धि और चेतना।
भगवद गीता कहती है कि ब्रह्मांड आठ तत्वों से बना है: पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, अंतरिक्ष , मन, बुद्धि और चेतना।
कृष्ण अर्जुन को लड़ने के लिए कहते हैं लेकिन साथ ही साथ शांति से रहें। वे कहते हैं, "पहले, अंदर जाओ और अपने आप को शुद्ध करो। घृणा से मत लड़ो, न्याय के लिए लड़ो; समभाव से लड़ो।"
कृष्ण अर्जुन को लड़ने के लिए कहते हैं लेकिन साथ ही साथ शांति से रहें। वे कहते हैं, "पहले, अंदर जाओ और अपने आप को शुद्ध करो। घृणा से मत लड़ो, न्याय के लिए लड़ो; समभाव से लड़ो।"
गीता कहती है, "आपका अपना मन ही आपके बंधन और आपकी मुक्ति के लिए जिम्मेदार है।" आपका दिमाग हर समय बदलता रहता है।
गीता कहती है, "आपका अपना मन ही आपके बंधन और आपकी मुक्ति के लिए जिम्मेदार है।" आपका दिमाग हर समय बदलता रहता है।
निष्काम-कर्म से मुक्ति मिलती है - कर्म, जो बिना किसी ज्वर या कर्म के फल की आसक्ति के किया जाता है। कर्म योग पूरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहा है।
निष्काम-कर्म से मुक्ति मिलती है - कर्म, जो बिना किसी ज्वर या कर्म के फल की आसक्ति के किया जाता है। कर्म योग पूरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहा है।
अगर कोई दोस्त आपको चोट पहुँचा रहा है, तो जान लें कि कोई कर्म छूट रहा है। यदि किसी अज्ञानी व्यक्ति से दुख आ रहा हो तो दया करो। ये तीन एटीट्यूड आपके पूरे व्यक्तित्व को चमका सकते हैं।
अगर कोई दोस्त आपको चोट पहुँचा रहा है, तो जान लें कि कोई कर्म छूट रहा है। यदि किसी अज्ञानी व्यक्ति से दुख आ रहा हो तो दया करो। ये तीन एटीट्यूड आपके पूरे व्यक्तित्व को चमका सकते हैं।
याद रखो कि जो कुछ पलो के लिए है ,वह दु:खदायी है। सुख तुम्हारे भीतर है। उसमें सुख की तलाश मत करो जो अस्थायी, और परिवर्तनशील है। खुशी उसी में है जो नहीं बदलती।
याद रखो कि जो कुछ पलो के लिए है ,वह दु:खदायी है। सुख तुम्हारे भीतर है। उसमें सुख की तलाश मत करो जो अस्थायी, और परिवर्तनशील है। खुशी उसी में है जो नहीं बदलती।
गीता की प्रासंगिकता आपके जीवन में घटनाओं के प्रवाह को देखने में है। जैसे हवा आती है और सब कुछ उड़ा देती है, वैसे ही जीवन की सभी घटनाएं आती-जाती रहती हैं।
गीता की प्रासंगिकता आपके जीवन में घटनाओं के प्रवाह को देखने में है। जैसे हवा आती है और सब कुछ उड़ा देती है, वैसे ही जीवन की सभी घटनाएं आती-जाती रहती हैं।